E Etta Hai, Uh Utta Hai

E Etta Hai , Uh Utta Hai

'इ इत्ता है, उ उत्ता है' मेरे द्वारा लिखी हुई बाल कविता स‌ंग्रह का शीर्षक है, जो नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया स‌े 2011 ई. में प्रकाशित हु ई है। अपनी इसी पुस्तक के नाम पर मैंने अपने इस ब्लॉग का नामकरण किया है।
यह ब्लॉग , हिन्दी में बाल स‌ाहित्य की कमी को दूर करने का एक विनम्र प्रयास है। मेरी शुरू स‌े यह इच्छा रही है कि गंभीर कविताओं के स‌ाथ-साथ मैं बच्चों के लिए भी लिखूँ । यह ब्लॉग स‌ामान्य तौर पर बाल-गीत और बाल कविताओं के लिए होगा, जो फिलहाल इसी स‌ंग्रह स‌े लिया जाएगा। स‌ाथ ही उम्मीद करूँगा कि जो भी स‌ज्जन इस ब्लॉग पर आएँ, वे कम स‌े कम अपने बच्चों को इससे जरूर जोड़ें तथा अपनी प्रतिक्रिया व स‌ुझाव देकर इसे निखारने में मेरी स‌हायता करें।



रविवार, 8 मई 2011

कोयल

             
                   

                   






                     कोयल  काली
                     वह  मतवाली
                     डाली-डाली  गाती  है
                     स‌बके  मन  को  भाती  है




गुरुवार, 5 मई 2011

कागज़ की नाव





     आओ बनायें कागज़ की नाव !
     आओ चलायें कागज़ की नाव !

        'लो खा लो खाना '
        कहते हैं नाना -
        फिर तुम चलाना
        कागज़ की नाव I


     आओ बनायें कागज़ की नाव !
     आओ चलायें कागज़ की नाव !


      'आँगन में पानी'
       कहती है नानी -
       जाना है हमको
       सपनों के गाँव I

मामा की बिल्ली

          
             मामा दिल्ली से आए,
             प्यारी सी बिल्ली लाए।

             बिल्ली बड़ी स‌यानी थी,
             नाना की भी नानी थी।

             दूध-मलाई खाती थी,
             चूहों को बहलाती थी।

             एक दिन घर से‌ भाग गई,
             पहुँच गई फिर वह दिल्ली।
             मामा की प्यारी बिल्ली।




आ रे चिड़िया










आ रे चिड़िया
गा रे चिड़िया
ले थोड़ा कुछ खा रे चिड़िया


क्यों इतनी लगती है दुबली ?
क्या बीमार पड़ी थी पगली ?
बहुत दिनों पर आयी है तू
ठहर जरा
मत जा रे चिड़िया

आ रे चिड़िया ...

जो देगी तू पंख स‌लोने
दे दूँगा मैं स‌भी खिलौने
वर्षा वन की
नील गगन की
कथा हमें बतला रे चिड़िया

आ रे चिड़िया
गा रे चिड़िया
ले थोड़ा कुछ खा रे चिड़िया

                     *